लेखन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लेखन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ लेखनीय, लेख्य]
१. लिखने का कार्य । अक्षराविन्यास । अक्षर बनाना ।
२. लिखने की कला या विद्या ।
३. चित्र बनाना । उ॰— जल बिनु तरंग, भीति बिनु लेखन बिनु चेतहि चतुराई ।— सूर (शब्द॰) ।
४. हिसाब करना । लेखा लगाना । कूतना ।
५. छर्दन । उलटी करना । वमन करना । कै करना ।
६. औपध द्वारा रसादि सप्त धातुओं या वात आदि दोषों का शोषण करके पतला करना ।
७. इस काम के लिये उपयुक्त औषध ।
८. शल्य क्रिया में काटना, चोरना वा खरोंचना (को॰) ।
९. इस काम में प्रयुक्त होनेवाला औजार आदि (को॰) ।
१०. एक प्रकार काट सरकंड़ा या नरसल जिसकी कलम बनाते हैं (को॰) ।
११. भोज- पत्र का वृक्ष (को॰) ।
१२. भोजपत्र या ताड़पत्र, जिसपर प्राचीन काल में लिखा जाता था ।
१३. खाँसी ।
१४. उद्दीपन । उत्तेजन (को॰) ।
लेखन ^२ वि॰ [सं॰]
१. खुरचनेवाला ।
२. दीप्त करनेवाला । उत्तेजक [को॰] ।