लेना
क्रिया
अनुवाद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
लेना क्रि॰ स॰ [सं॰ लभन, हिं॰ लहना]
१. दूसरे के हाथ से अपने हाथ में करना । ग्रहण करना । प्राप्त करना । लाभ करना । जैसे,— उसने रुपया दिया, तो मैंने ले लिया । संयो॰ क्रि॰—लेना ।
२. ग्रहण करना । थामना । पकड़ना । जैसे,—छड़ी अपने हाथ में ले लो और किताब मुझे दे दो । मुहा॰—ऊपर लेना = सिर या कंधे पर रखना ।
३. मोल लेना । क्रय करना । खरीदना । जैसे,—बाजार में तुम्हें क्या क्या लेना है ? मुहा॰—ले देना = दूसरे को मोल लेकर देना । खरीद देना ।
४. अपने अधिकार में करना । कब्जे में लाना । जीतना । जैसे,— उसने सिंध के किनारे का देश ले लिया ।
५. उधार लेना । कर्ज लेना । ऋण ग्रहण करना । जैसे,— १०००) महाजन से लिए, तब काम चला ।
६. कार्य सिद्ध करना या समाप्त करना । काम पूरा करना । जैसे,—आधे से अधिक काम हो गया है; अब ले लिया ।
७. जीतना । जैसे,—बाजी लेना ।
८. भागते हुए को पकड़ना । धरना । जैसे—लेना, जाने न पावे ।
९. गोद में थामना । जैसे,—जरा बच्चे को ले लो ।
१०. किसी आते हुए आदमी से आगे जाकर मिलना । अगवानी करना । अभ्यर्थना करना । जैसे—शहर के सब रईस स्टेशन पर उन्हें लेने गए हैं । उ॰—भरत आइ आगे भै लीन्हे ।—तुलसी (शब्द॰) ।
११. प्राप्त होना । पहुँचना । जैसे,—घर लेना मुश्किल हो गया है ।
१२. किसी कार्य का भार ग्रहण करना । किसी काम को पूरा करने का वादा करना । जिम्मे लेना । जैसे,—जब इस काम को लिया है, तब पूरा करके ही छोड़ूँगा । मुहा॰—ऊपर लेना = जिम्ने लेना । भार ग्रहण करना । जैसे—इस काम को में अपने ऊपर लेता हूँ ।
१३. सेवन करना । पीना । जैसे—कभी कभी वे थोड़ी सी भाँग ले लेते हैं ।
१४. धारण करना । स्वीकार करना । अंगीकार करना । जैसे,—योग लेना, संन्यास लेना, बाना लेना ।
१५. काटकर अलग करना । काटना । जैसे,—(क) नाखून लेना, बाल लेना (ख) धीरे से ऊपर का हिस्सा ले लो, अंदर छुरी न लगने पावे ।
१६. किसी को उपहास द्वारा लज्जित करना । हँसी ठट्टा करके या व्यंग्य बोलकर शरमिंदा करना । जैसे,—आज उनको खूब लिया । मुहा॰—आड़े हाथों लेना = गूढ़ व्यंग्य द्वारा लज्जित करना । छिपा हुआ आक्षेप करके लज्जित करना ।
१७. पुरुष या स्त्री के साथ संभोग करना ।
१८. संचय करना । एकत्र करना । जैसे,—मैं गुरु के लिये फूल लेने गया था । मुहा॰—ले आना = लेकर आना । लाना । ले उड़ना = (१) लेकर भाग जाना । (२) किसी बात को लेकर उसपर बहुत कुछ कह चलना । किसी बात का संकेत पाते ही बितड़ावाद खड़ा करना । जैसे—तुमने तो जहाँ कोई बात सुनी, बस ले उड़े । लेने के देने पड़ना = (१) लेने के स्थान पर उलटे देना पड़ना । भले के लिये कुछ करते हुए बुरा होना । (किसी मामले में) लाभ के बदले हानि होना । (२) बहुत कठिन समय आना । जान पर आ बनना । जैसे,—देखते देखते बच्चे के लेने के देने पड़ गए । ले चलना = (१) लेकर चलना । थामकर या ऊपर उठाकर चलना । (२) चलते समय किसी को साथ करना । साथ साथ गमन करना या पहुँचाना । जैसे—मेले में उन्हें भी ले चलो । ले जाना = लेकर जाना । पास में रखकर प्रस्थान करना । जैसे—(क) यह किताब ले जाओ; अब काम नहीं है । (ख) यह पत्र उनके पास ले जाओ । ले डालना = (१) खराब करना । चौपट करना । नष्ट करना । (२) पराजित करना । हराना । (३) किसी काम को निबटा देना । पूरा करना । समाप्त करना । ले डूबना = अपने साथ दूसरे को भी खराब करना । ले दे करना = (१) हुज्जत करना । तकरार करना । (२) बहुत प्रयत्न करना । बड़ी कोशिश करना । जैसे—बड़ी ले दे की, तब जाकर काम पूरा हुआ । ले देकर = (१) लेना देना सब जोड़कर । खर्च या देना आदि घटा कर । जैसे—सब ले देकर १००) बचते हैं । (२) सब मिलाकर । जाड़ जाड़कर । जैसे— ले देकर इतने ही रुपए तो होते है । (३) बड़ी मुश्किल से कठिनता से । लेना देना = (१) लेने और देने का व्यवहार । (२) रुपया उधार देने और लेने का व्यवसाय । लेना देना होना = मतलब या प्रयोजन होना । सरोकार होना । जैसे,— मुझे किसी से कुछ लेना देना है जो परवा करुँ । लेना एक न देना दो = कुछ मतलब नहीं । कुछ प्रयोजन नहीं । कुछ सरोका र नहीं । उ॰—माँगि के खैबो, मसीत को सोइबो लैबे को एक न दैबे को दोऊ ।—तुलसी (शब्द॰) । ले निकलना = लेकर चल देना । ले पड़ना = (१) अपने साथ जमीन पर गिरा देना । (२) संभोग करने लगना । ले पालना = गोद लेना । दत्तक लेना । ले बैठना = (१) बोझ लिए डूब जाना । (नाव आदि का) । (२) अपने साथ नष्ट या खराब करना ।
३. किसी व्यवसाय का नष्ट होकर लगे हुए धन को नष्ट करना । जैसे— यह कारखाना सारी पूँजी ले बैठेगा । ले भागना = लेकर भाग जाना । ले मरना = अपने साथ नष्ट या बरबाद करना । ले रखना = लेकर रख छोड़ना । कान में लेना = सुनना । उ॰—करैं घरी दस ता मैं कोऊ जो खबरि देत लेत नहिं कान और मरवावही ।—प्रियादास (शब्द॰) । ले = इस शब्द का प्रयोग किसी को संबोधन करके इन अर्थों का बोध कराने के लिये किया जाता है—(१) अच्छा, जो तू चाहता है, वही होता है । जैसे—ले, मैं चला जाता हूँ, जो चाहे सो कर । (२) अच्छा, जो तू किसी तरह नहीं मानता है, तो मैं यहाँ तक करता हूँ । जैसे,—ले, तेरे हाथ जोड़ू हूँ, क्यों न गावेगी ?—हरिश्चंद्र (शब्द॰) ।
३. किसी के प्रतिकूल कोई बात हो जाने पर उसे चिढ़ाने या लज्जित करने के लिये प्रयुक्त । देख ! कैसा फल मिला । जैसे,—(क) ले ! और बढ़ बढ़कर बातें कर । (ख) ले ! कैसी मिठाई मिली । विशेष—इस क्रिया का प्रयोग संयो॰ क्रिया के रूप में सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं के धातुरूप के आगे कहीं तो (क) केवल पूर्ति सूचित करने के लिये होता है; जैसे—इस बीच में उसने अपना काम कर लिया । और (ख) कहीं स्वय वक्ता द्वारा किसी क्रिया का किया जाना सूचित करने के लिये । जैसे,—तुम रहने दो, मैं अपना काम आप कर लूँगा ।