वजू संज्ञा पुं॰ [अ॰ वुज़ू] नमाज पढ़ने के पुर्व शौच के लिये हाथ पाँव आदि धोना । उ॰—का भो वजू व मज्जन कीन्हें का मसजिद सिर नाएँ । हृदया कपट निमाज गुजारै का भो मक्का जाएँ । कबीर (शब्द॰) ।