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वर

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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वर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] किसी देवता या बड़े से माँगा हुआ मनोरथ । वह बात । जिसके लिये किसी देवी, देवता या बड़े से प्रार्थना की जाय । जैसे,—उसने शिव से यह वर माँगा । क्रि॰ प्र॰—माँगना ।

२. किसी देवता या बड़े से प्राप्त किया हुआ फल या सिद्धि । वह बात जो किसी देवता या बड़े की प्रसन्नता से प्राप्त हुई हो । जैसे,—उसे यह वर था कि वह किसी के हाथ से न मरेगा । क्रि॰ प्र॰—देना ।—पाना ।—मिलना ।

३. जामाता ।

४. पति या दूल्हा ।

५. गुग्गुल ।

६. कुंकुम । केसर ।

७. दारचीनी ।

८. बालक ।

९. अदरक । आर्द्रंक ।

१०. सुगंध तृण ।

११. सेंधा नमक ।

१२. पियाल या चिरौंजी का पेड़ ।

१३. वकुल । मौलसिरी ।

१४. हलदी ।

१५. गौरा पक्षी ।

१६. चुनाव (को॰) ।

१७. पसंद (को॰) ।

१८. इच्छा (को॰) ।

१९. लंपट या छिछोरा व्यक्ति (को॰) ।

२०. वह जो किसी से प्रेम करता हो । प्रेमी (को॰) ।

२१. दहेज (को॰) ।

वर ^२ वि॰

१. श्रेष्ठ । उत्तम ।

२. सर्वोत्तम (को॰) । विशेष—इस शब्द का प्रयोग प्रायः श्रेष्ठता सूचित करने के लिये संज्ञा या विशेषणों के आगे होता है । जैस,—पंडितवर, विज्ञवर, वीरवर, मित्रवर ।