वर्षा
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संज्ञा
वर्षा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
वर्षा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] वह ऋतु जिसमें पानी बरसता है । विशेष—छह ऋतुओं के हिसाब से सावन और भादों के दो महीने वर्षा ऋतु के माने जाते हैं । पर साधारण व्यवहार में जाड़ा, गरमी और बरसात के हिसाब से वर्षा काल आषाढ़ से कुआर तक चार महीने का लिया जाता है जिसे चातुमसि या 'चौमासा' कहते हैं । पर्या॰—प्रावृट् । पावस । घनागम । घनाकर ।
२. पानी बरसने की क्रिया या भाव । वृष्टि । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना । मुहा॰—(किसी वस्तु की) वर्षा होना=(१) बहुत अधिक परिमाण में ऊपर से गिरना । जैसे,—फूलों के वर्ष होना । (२) बहुत अधिक संख्या में मिलना । जैसे,—वहाँ रुपयों की वर्षा होती है ।