विश्व
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विश्व ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. चौदहों भुवनों का समूह । समस्त ब्रह्मांड । विशेष दे॰ 'ब्रह्मांड' ।
२. संसार । जगत् । दुनिया । सोठ ।
४. बोल नामक गंधद्रव्य ।
५. देवताओं का एक गण । विशेष—इसमें दस देवता हैं—वसु, सत्य, क्रतु, दक्ष, काल, काम, धृति, कुरु पुरुरवा और माद्रवा । ये धर्म के पुत्र और दक्ष की कन्या विश्वा के गर्भ से उत्पन्न माने जाते हैं ।
६. जीवात्मा ।
७. विष्णु ।
८. शिव ।
९. शरीर । देह ।
१०. नागरिक । शहराती । नागर (को॰) ।
११. तेरह की संख्या का वाचक शब्द (को॰) ।
१२. संस्कृत का एक अभिधान ग्रंथ जिसका नाम विश्वप्रकाश है ।
१३. पितृगण का एक वर्ग (को॰) ।
विश्व ^२ वि॰
१. समस्त । सब ।
२. बहुत अधिक ।
३. हर एक । प्रत्येक (को॰) । विशेष—इन अर्थों में इस शब्द का व्यवहार यौगिक शब्द बनाने के लिये उनके आरंभ में होता है ।