विसर्जन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विसर्जन संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. परित्याग । छोड़ना । उ॰—अब मुझे प्राण विसर्जन करने में भी आगा पीछा नहीं है ।—राधाकृष्ण (शब्द॰) ।
२. किसी को यह कहकर भेजना कि तुम जाकर अमुक कार्य करो ।
३. विदा होना । चला जाना । प्रस्थान करना ।
४. षोड़शोपचार पूजन में अंतिम उपचार अर्थात् आवाहन किए हुए देवता से पुन: स्वस्थान गमन की प्रार्थना करना ।
५. समाप्ति । अंत । उ॰—कथा विसर्जन होति है सुनौ बीर हनुमान ।—(शब्द॰) ।
६. दान ।
७. मलत्याग (को॰) ।
८. डालना । गिराना (को॰) ।
९. चराने के लिये पशुओं का हाँकना (को॰) ।
१०. प्रतिमा को जल में बहाना (को॰) ।
११. वृषोत्सर्ग । साँड़ छोड़ना (को॰) ।
१२. निर्माण । रचना (को॰) ।
१३. क्षतिग्रस्त करना (को॰) ।
१४. उत्तर देना (को॰) ।