वेदांग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वेदांग संज्ञा पुं॰ [सं॰ वेदाङ्ग]
१. वेदो के अंग या शस्त्र जो छह हैं और जिनके नाम इस प्रकार हैं—शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतइष और छंद । विशेष—इनमें से व्याकरण को लोग वेदों का मुख, शिक्षा को नाक, निरुक्त को कान, ज्योतिष को आँच, कल्प को हाथ औऱ छंद को पैर मानते हैं ।
२. सूर्य का एक नाम ।
३. बारह आदित्यों में से आदित्य ।