व्यंग्यरूपक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

व्यंग्यरूपक संज्ञा पुं॰ [सं॰ व्यङ्गयरूपक] वह रूपक जिसमें अप्रस्तुत योजना व्यक्त न होकर प्रच्छन्न हो । प्रच्छन्न रूपक । उ॰— काव्य के वर्तमान समीक्षकों की द्दष्टि में दबी हुई या प्रच्छन्न अप्रस्तुत योजना, जिसे हमारे यहाँ व्यंग्यरूपक कहेंगे, बहुत उत्कृष्ट मानी जाती है ।—चिंतामणि, भा॰ २, पृ॰ २२३ ।