शाक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शाक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पत्ती, फूल, फल आदि जो पकाकर खाए जायँ । भाजी । तरकारी । साग । विशेष—शाक छहु प्रकार का कहा गया है—(१) पत्रशाक- चौलाई, बथुआ, मेथी आदि; (२) पुष्पशाक—केले का फूल, अगस्त का फूल आदि; (३) फलशाक—बैगन, करेला आदि; (४) नालशाक—करेमू आदि;(५) कंदशाक—जमींकंद, कच्चू आदि; (६) संस्वेदज शाक—ढिंगरी, भुइँफोड़, गोबर- छत्ता आदि । ये शाक अनुक्रम से एक दूसरे से भारी होते हैं । सब प्रकार के पत्रशाक विष्टंभकारक, भारी, रूखे, मलकारक, अधोगत, वातकारी तथा शरीर, हड्डी, नेत्र, रूधिर, वीर्य, बुद्धि, स्मरणशक्ति और गति शक्ति का नाश करनेवाले तथा समय से पहले बालों को सफेद करनेवाले कहे गए हैं । परंतु जीवंती, बधुआ और चौलाई हानिकारक नहीं हैं ।
२. सागौन का पेड़ ।
३. भोजपत्र । भूर्ज वृक्ष ।
४. सिरिस का पेड़ ।
५. पुराणानुसार सात द्वीपों में से एक द्वीप । विशेष दे॰ 'शाकद्वीप' ।
६. एक प्राचीन जाती । विशेष दे॰ 'शक' (को॰) ।
७. शक राजा शालिवाहन का संवत् ।
८. शक्ति । बल । ताकत ।
शाक ^२ वि॰ [सं॰]
१. शक जाति संबंधी ।
२. शक राजा का । जैसे,—शाक संवत् ।
शाक ^३ वि॰ [अ॰ शाक]
१. भारी । दूभर । कठिन । मुहा॰—शाक गुजरना = कष्टकर होना । खलना ।
२. दुःख देनेवाला । कडा़ । (काम) ।