शाम
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निरुक्ति
[सम्पादन]उच्चारण
[सम्पादन]संज्ञा
[सम्पादन]शाम (śām)
- शाम ^१ संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰] सूर्य अस्त होने का समय । रात्रि और दिवस के मिलने का समय । साँझ । सायम् । संध्या । मुहा॰—शाम फूलना = संध्या समय पश्तिम की ललाई का प्रकट होना । यौ॰—शामगाह = संध्याकाल ।
- शाम पु ^२ वि॰, संज्ञा पुं॰ [सं॰ श्याम] दे॰ 'श्याम' । यौ॰—शामकरण ।
- शाम ^३ वि॰ [सं॰] शम संबंधी । शम का ।
- शाम ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शामन्] साम गान ।
- शाम ^५ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] लोहे, पीतल आदि धातु का बना हुआ वह छल्ला जो हाथ में ली जानेवाली लकड़ियों या छड़ियों के निचले भाग में अथवा औजारों के दस्ते में लकड़ी को घिसने या छीजने से बचाने के लिये लगाया जाता है । क्रि॰ प्र॰—जड़ना ।—लगाना ।
- शाम ^६ संज्ञा पुं॰ एक प्रसिद्ध प्राचीन देश जो अरब के उत्तर में है । कहते हैं, यह देश हजरत नूह के पुत्र शाम ने बसाया था । इसका राजधानी का नाम दमिश्क है । आजकल यह प्रदेश सारिया कहलाता है ।