शिष्य
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
शिष्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. समय । काल ।
२. दे॰ 'शिल्प' [को॰] ।
शिष्य ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ शिष्या]
१. वह जो शिक्षा या उपदेश देने के योग्य हो ।
२. वह जो विद्या पढ़ने के उद्देश्य से किसी गुरु या आचार्य आदि के पास रहता हो । विद्यार्थी । अतेवासी । चेला । उ॰—तीर चलावत शिष्य सिखावत धर निशान देखरा- वत । कबहुँक सधे अश्व चढ़े आपुन नाना भाँति नचावत ।— सूर (शब्द॰) ।
३. (शिक्षक या गुरु के संबंध से) वह जिसने किसी से शिक्षा प्राप्त की ही । शागिर्द ।
४. (गुरु के संबंध से) वह जिसने किसी धार्मिक आचार्य से दीक्षा या मंत्र आदि ग्रहण किया हो । मुरीद । चेला ।
५. वह जो हाल में श्रावक बना हो (जैन) ।
६. क्रोध । दोष । आवेश (को॰) ।
७. हिंसा । बलात्कार (को॰) ।
शिष्य ^२ वि॰ शासनीय । शिक्षणीय ।