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शिष्य

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

शिष्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. समय । काल ।

२. दे॰ 'शिल्प' [को॰] ।

शिष्य ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ शिष्या]

१. वह जो शिक्षा या उपदेश देने के योग्य हो ।

२. वह जो विद्या पढ़ने के उद्देश्य से किसी गुरु या आचार्य आदि के पास रहता हो । विद्यार्थी । अतेवासी । चेला । उ॰—तीर चलावत शिष्य सिखावत धर निशान देखरा- वत । कबहुँक सधे अश्व चढ़े आपुन नाना भाँति नचावत ।— सूर (शब्द॰) ।

३. (शिक्षक या गुरु के संबंध से) वह जिसने किसी से शिक्षा प्राप्त की ही । शागिर्द ।

४. (गुरु के संबंध से) वह जिसने किसी धार्मिक आचार्य से दीक्षा या मंत्र आदि ग्रहण किया हो । मुरीद । चेला ।

५. वह जो हाल में श्रावक बना हो (जैन) ।

६. क्रोध । दोष । आवेश (को॰) ।

७. हिंसा । बलात्कार (को॰) ।

शिष्य ^२ वि॰ शासनीय । शिक्षणीय ।