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श्याम

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श्याम

हिन्दी

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विशेषण

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काला

संज्ञा

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हिन्दू धर्म अनुसार कृष्ण का एक ना shayam


प्रकाशितकोशों से अर्थ

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Shyam

शब्दसागर

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श्याम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. श्रीकृष्ण का एक नाम, जो उनके शरीर के श्याम वर्ण होने के कारण पड़ा था । उ॰—एक बार हरि निज पुर छए । हलधर जी बृंदाबन गए । यह देखत लोगन सुख पाए । जान्यो राम श्याम दोउ आए ।—सूर (शब्द॰) ।

२. प्रयाग के अक्षयवट का नाम ।

३. साँवाँ नामक धान्य (डिं॰) ।

४. एक राग जो श्रीराग का पुत्र माना जाता है । यह राग उत्सवों आदि के समय गाया जाता है, और हास्य रस के लिये भी उपयुक्त होता है । इसके गाने का समय संध्या के समय १ दंड से ५ दंड तक है । इसे श्यामकल्याण भी कहते हैं । उ॰—नित मलार जु मलार सुनाई । श्याम गुजरी पुनि भल गाई ।—जायसी (शब्द॰) ।

५. सेंधा या समुद्री नमक ।

६. धतुरा ।

७. विधारा ।

८. मेघ । बादल ।

९. दौना का क्षुप । दमनक ।

१०. एक प्रकार का तृण । गधतृण ।

११. गोल मिर्च । छोटी या काली मिर्च ।

१२. पीलू वृक्ष ।

१३. कोयल । कोकिल ।

१४. प्राचीन काल का एक देश जो कन्नौज के पश्चिम ओर था ।

१५. स्याम नामक देश । वि॰ दे॰ 'स्याम' ।

१६. काला रंग (को॰) ।

१७. गहरा हरा रंग (को॰) ।

श्याम ^२ वि॰

१. काला और नीला मिला हुआ (रंग) । गहरा हरा ।

२. काला । साँवला । उ॰—अमी हलाहल मद भरे, श्वेत श्याम रतनार । जियत मरत झुकि झुकि परत, जेहि चितवत एक बार । (शब्द॰) ।

३. धूसर । भूरा (को॰) ।

४. विवर्ण । उदास । जैसे, श्याम मुख ।

श्याम चिरैया संज्ञा स्त्री॰ [सं॰श्याम + हि॰ चिरैया] एक विशेष पक्षी । श्यामा पक्षी । उ॰—एक सूखे पेड़ की टहनी पर श्यामचिरैया का जोड़ा प्रणयाकुल हो रहा था ।— भस्मावृत॰, पृ॰ ११ ।

श्याम टीका संज्ञा पुं॰ [सं॰ श्याम + हिं॰ टीका] वह काला टीका जो बच्चों को नजर से बचाने के लिये लगाया जाता है । दिठौना । उ॰—पठवहिं मातु भूप दरबारै टीको श्याम लगाई ।—रघुराज (शब्द॰) ।

श्याम तीतर संज्ञा पुं॰ [सं॰ श्याम + हिं॰ तीतर] प्रायः डेढ़ बालिश्त लंबा एक प्रकार का पक्षी जो अकेला रहता है और पाला भी जा सकता है । विशेष—यह काश्मीर, भूटान और दक्षिण हिमालय में पाया जाता है । ऋतुभेदानुसार यह स्थानपरिवर्तन करता रहता है । इसकी चोच लंबी होती है और यह बहुत तेज उड़ता है । इसका शब्द धीमा पर विचित्र होता है । इसका मांस स्वादिष्ट होता है; इसलिये इसका शिकार भी किया जाता है ।

श्याम मंजरी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ श्याम + मञ्जरी] काले रंग की एक प्रकार की मिट्टी जिससे वैष्णव लोग माथे पर तिलक लगाते हैं । यह मिट्टी प्रायः जगन्नाथ जी के आसपास की भूमि में पाई जाती है ।