संत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]संत ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सन्त] संहतल । अंजलि । अँजुरी [को॰] ।
संत पु † ^२ वि॰ [सं॰ शान्त] दे॰ 'शांत' । उ॰—राए बधिअउँ संत हुअ रोस, लज्जाइए निञ मनहि मन ।—कीर्ति॰, पृ॰ १८ ।
संत ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सत् शब्द के कर्ताकारक का बहुवचन]
१. साधु, संन्यासी, विरक्त या त्यागी पुरुष । महात्मा । उ॰—या जग जीवन को है यहै फल जो छल छाँडि भजै रघुराई । शोधि के संत महंतनहूँ पदमाकर बात यहै ठहराई ।—पदमाकर (शब्द॰) ।
२. हरिभक्त । ईश्वर का भक्त । धार्मिक पुरुष ।
३. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में २१ मात्राएँ होती हैं ।
४. साधुओं को परिभाषा में वह संप्रदायमुक्त साधु या संत जो विवाह करके गृहस्थ बन गया हो ।