सागर
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हिन्दी
संज्ञा
- पर्यायवाची
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
सागर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] १ समुद्र । उदधि । जलधि । दे॰ 'समुद्र' । विशेष—ऐसा माना जाता है कि राजा सगर के नाम पर 'सागर' शब्द पड़ा ।
२. बड़ा तालाब । झील । जलाशय ।
३. संन्यासियों का एक भेद ।
४. एक प्रकार का मृग ।
५. चार की संख्या (को॰) ।
६. दस पद्म की संख्या (को॰) ।
७. एक नाम । नागदैत्य (को॰) ।
८. गत उत्सर्पिणी के तीसरे अर्हत ।
९. सगर के पुत्र (को॰) । मुहा॰—सागर उमड़ना = आधिक्य होना । मात्रा में अत्यधिक होना । उ॰—सागर उमड़ा प्रेम का खेवटिया कोइ एक । सब प्रेमी मिलि बूड़ते जो यह नहिं होता टेक ।—कबीर सा॰ सं॰, पृ॰ ५१ ।
सागर ^२ वि॰ सागर संबंधी । समुद्र संबंधी ।
सागर ^३ संज्ञा पुं॰ [अ॰ सागर]
१. प्याला । खोरा ।
२. शराब का प्याला । उ॰—बचन का पी सागर सुराही अकल । भर्या मद फिरा सत अजाँ में नवल ।—दक्खिनी॰, पृ॰ २६७ ।