सूरजमुखी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सूरजमुखी संज्ञा पुं॰ [सं॰ सूर्यमुखिन्]
१. एक प्रकार का पौधा जिसमें पीले रंग का बहुत बड़ा फूल लगता हैं । विशेष—यह ४-५ हाथ ऊँचा होता है । इसके पत्ते डंठल की ओर पतले तथा कुछ खुरदुरे और रोईंदार होते हैं । फूल का मंडल एक बालिश्त के करीब होता है । बीच में एक स्थूल केंद्र होता है जिसके चारों ओर गोलाई में पीले पीले दल निकले होते हैं । सूर्यास्त के लगभग यह फूल नीचे की ओर झुक जाता है और सूर्योदय होने पर फिर ऊपर उठने लगता है । इसमें कुसुम के से बीज पड़ते हैं । बीज हर ऋतु में बोए जा सकते हैं, पर गरमी और जाड़ा इसके लिये अच्छा है । यह पौधा दूषित वायु को शुद्ध करनेवाला माना जाता है । वैद्यक में यह उष्णवीर्य, अग्निदीपक, रसायन, चरपरा, कड़ुवा, कसैला, रूखा, दस्तावर, स्वर शुद्ध करनेवाला तथा कफ, वात, रक्तविकार, खाँसी, ज्वर, विस्फोटक, कोढ़, प्रमेह, पथरी, मूत्रकृच्छ्र, गुल्म आदि का नाशक कहा गया है । पर्या॰—आदित्यभक्ता । वरदा । सुवर्चला । सूर्यलता । अर्ककांता । भास्करेष्टा । विक्रांता । सुतेजा । सौरि । अर्कहिता ।
२. एक प्रकार की आतिशबाजी ।
३. एक प्रकार का छत्र या पंखा ।
४. वह हलकी बदली जो संध्या सबेरे सूर्य मंडल के आसपास दिखाई पड़ती है ।