सोहन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सोहन ^१ वि॰ [सं॰ शोभन, प्रा॰ सोहण] [वि॰ स्त्री॰ सोहनी] अच्छा लगनेवाला । सुंदर । सुहावना । मनभावना । मनोहर । उ॰— (क) तहँ मोहन सोहन राजत हैं । जिमि देखि मनोभव लाजत हैं । (ख) हीर जराऊ मुकुट सीस कंचन को सोहन । —गोपाल (शब्द॰) । (ग) चित चोरना बिबि खंभ बातक रतन डाँडी सोहनी । —नंद ग्रं॰, पृ॰ ३७५ ।
सोहन ^२ संज्ञा पुं॰ सुंदर पुरुष । नायक । उ॰—प्यारी की पीक कपोल में पीके बिलोकि सखीन हँसी उमड़ी सी । सोहन सौंह न लोचन होत सुलोचन सुंदरि जाति गड़ी सी । —देव (शब्द॰) ।
सोहन ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक बड़ी चिड़ीया जिसका शिकार करते है । विशेष—यह बिहार, उडीसा, छोटा नागपुर और बंगाल को छोड़ हिंदुस्तान में सर्वत्र पाई जाती है । यह कीड़े, मकोड़े, अनाज, फल, घास के अंकुर आदि सब कुछ खाती है । पूँछ से लेकर चोंच तक इसकी लंबाई डेढ़ हाथ तक होती है और वजन भी बहुत भारी, प्राय: दस सेर तक, होता है । इसका मांस बहुत स्वादिष्ट कहा जाता है ।
सोहन ^४ संज्ञा पुं॰ एक बड़ा पेड़ जो मध्यभारत तथा दक्षिण के जंगलों में बहुत होता है । विशेष— इसके हीर की लकड़ी बहुत कड़ी, मजबूत, चिकनी, टिकाऊ तथा ललाई लिए काले रंग की होती है । यह मकानों में लगती है तथा मेज, कुरसी आदि सजावट के सामान बनाने के काम में आती है । सोहन शिशिर में झाड़ पत्ते देनेवाला पेड़ है । इसे रोहन और सूमी भी कहते हैं ।
सोहन ^५ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ सोहान] एक प्रकार की बढ़इयों की रेती या रंदा । यौ॰— तिकोनिया सोहन = तीन कोने की रेती ।
सोहन चिड़ीया संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ सोहन + चिड़िया] दे॰ सोहन' —३ ।
सोहन पपड़ी संज्ञा स्त्री॰ [ हि॰ सोहन + पपड़ी] एक प्रकार की मिठाई जो जमें हुए करतों के रुप में होती है ।
सोहन हलवा संज्ञा पुं॰ [हि॰ सोहन + अ॰ हलवा] एक प्रकार की स्वादिष्ट मिठाई जो जमे हुए कतरों के रुप में और घी से तर होती है ।