सौगंद
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सौगंद संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सौगन्ध] शपथ । कसम । सौँह । उ॰— (क) नगर नारि को यार भूलि परतीति न कीजै । सौ सौ सौगंद खाय चित्त में एक न दीजै ।— गिरिधर (शब्द॰) । (ख) वस्ताद की सौगंद मुझे हम तो बाबा हारे । कहत केशव गगन मगन सोइ अल्ला के प्यारे ।— दक्खिनी॰, पृ॰ १२३ । (ग) प्राणधन । सच तुमको सौगंद, तुम्हारा यह अभिनव है साज ।—झरना पृ॰ ४३ । क्रि॰ प्र॰— खाना ।— देना ।