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स्तोत्र

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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स्तोत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. किसी देवता का छंदोबद्ध स्वरूपकथन या गुणकीर्तन । स्तव । स्तुति । जैसे,—महिम्नस्तोत्र ।

२. स्तुति- परक रचना, छंद या श्लोक ।

३. प्रशंसा । प्रशास्ति (को॰) ।

स्तोत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सामवेद का एक अंग ।

२. जड़ या निश्चेष्ट करना । स्तंभन ।

३. तिरस्कार करना । उपेक्षा करना । अवज्ञा करना ।

४. रोकना । बाधा खड़ी करना (को॰) ।

५. विराम । यति (को॰) ।

६. सूक्त । प्रशस्ति (को॰) ।

७. संनिविष्ट वस्तु (को॰) ।

७. अंगों की निश्चेष्टता । जड़ता ।