हँकलाना पु क्रि॰ अ॰ [हिं॰?] अटक अटककर बोलना । रूक रुककर बोलना । उ॰—कटि हलाइ हंकलाइ कछु अद्भूत ख्याल बनाइ । अस को जा नहि फाग में परगट दियो हंसाइ ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ १५५ ।