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हार

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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हार ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ हारि]

१. युद्ध, क्रीड़ा, प्रतिद्बंद्विता आदि में शत्रु के संमुख असफलता । लड़ाई, खेल, बाजो या चढ़ा ऊपरी में जोड़ या प्रतिद्बंद्वी के सामने न जीत सकने का भाव । पराजय । शिकस्त । जैसे,—लड़ाई में हार, खेल में हार इत्यादि । क्रि॰ प्र॰—जाना ।—मानना ।—होना । यौ॰—हारजीत । मुहा॰—हार खाना=पराजय होना । हारना । हार देना=पराजित करना । हराना । हार बोलना=हार मान लेना ।

२. शिथिलता । श्रांति । थकावट ।

३. हानि । क्षति । हरण ।

४. जब्ती । राज्य द्बारा हरण ।

५. युद्ध ।

६. विरह । वियोग ।

हार ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सोने, चाँदी या मोतियों आदि की माला जो गले में पहनी जाय । उ॰—नव उज्वल जलधार, हार हीरक सी सोहति । —भारतेंदु ग्रं॰, भा १, पृ॰ २८२ । विशेष—किसी के मत से इसमें ६४ और किसी के मत से १०८ दाने होने चाहिए । मुहा॰—हार मोर हो जाना=गायब हो जाना । उ॰—निजरा आगै निमष मैं, हार मोर ह्वै जाय । —बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ ३, पृ॰ २२ ।

२. वह जो ले जानेवाला या वहन करनेवाला हो ।

३. अंकगणित में भाजक ।

४. पिंगल या छंदः शास्त्र में गुरु मात्रा ।

५. ले लेना । हरण (को॰) ।

६. अलग करना । रहित करना (को॰) ।

७. मोती की माला ।

८. क्षेत्र का विस्तार ।

९. मार्ग । रास्ता । उ॰—हार मुक्त को फूल को, हार क्षेत्र विस्तार, हार बिरह को बोलिबो, मारग कहियत हार । —अनेकार्थ॰, पृ॰ १६२ ।

हार ^३ वि॰

१. मनोहर । मन हरनेवाला । सुंदर ।

२. नाश करनेवाला ।

३. ले जानेवाला या हरण करनेवाला (को॰) ।

४. उगाहने या वसूल करनेवाला ।

५. शिव संबंधी ।

६. विष्णु संबंधी ।

हार ^४ संज्ञा पुं॰ [देश॰ या सं॰ अरण्य]

१. वन । जंगल ।

२. नाव के बाहरी तख्ते ।

३. चरने का मैदान । चरागाह । गोचारण भूमि ।

४. कृषिभूमि । खेत ।

हार ^५ प्रत्य॰ [सं॰ धार, हिं॰ हार] वाला अर्थ का सूचक प्रत्यय । दे॰ 'हारा' । जैसे,—पावनिहार ।

हार ^१ प्रत्य॰ [सं॰ धार (=रखनेवाला)] [स्त्री॰ हारी] एक पुराना प्रत्यय जो किसी शब्द के आगे लगकर कर्तव्य, धारण या संयोग आदि सूचित करता है । वाला । जैसे,—करनेहारा, देने- हारा, लकड़हारा इत्यादि ।