हिन्द
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हिंद संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰] हिंदोस्तान । भारतवर्ष । उ॰—मिल जाय हिंद खाक में हम काहिलों को क्या ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ४८० । विशेष—यह शब्द वास्तव में 'सिंधु' शब्द का फारसी उच्चारण है । प्राचीन काल में भारतीय आर्यों और पारसीक आर्यों के बीच बहुत कुछ संबंध था । यज्ञ करानेवाले याजक बराबर एक देश से दूसरे देश में आते जाते थे । शाकद्विप के मग ब्राह्मण फारस के पूर्वोत्तर भाग से ही आए हुए हैं । ईसा से ५०० वर्ष पहले दारा (दारयवहु) प्रथम के समय में सिंधु नदी के आसपास के प्रदेश पर पारसियों का अधिकार हो गया था । प्राचीन पारसी भाषा में संस्कृत के 'स' का उच्चारण 'ह' होता था । जैसे,—संस्कृत 'सप्त' फारसी 'हफ्त' । इसी नियम के अनुसार 'सिंधु' का उच्चारण प्राचीन पारस देश में 'हिंदु' या 'हिंद' होता था । पारसियों के धर्मग्रंथ 'आवस्ता' में 'हफ्तहिंद' का उल्लेख है जो वेदों में भी 'सप्तसिंधु' के नाम से आया है । धीरे धीरे 'हिंद' शब्द सारे देश के लिये प्रयुक्त होने लगा । प्राचीन यूनानी जब फारस आए, तब उन्हें इस देश का परिचय हुआ और वे अपने उच्चारण के अनुसार फारसी 'हिंद' को 'इंड' या 'इंडिका' कहने लगे, जिससे आजकल 'इंडिया' शब्द बना है ।