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हिम

विक्षनरी से

संज्ञा

पु.

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

हिम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. पाला । बर्फ । जल का बह ठोस रूप जो सरदी से जमने के कारण होता है । तुषार । उ॰—(क) काननु कठिन भयंकरु भारी । घोर घामु हिम बारि बयारी ।—मानस, २ ।६२ । (ख) ऊपर हिम था नीचे जल था ।—कामायनी, पृ॰ २ ।

२. जाड़ा । ठंढ ।

३. जाडे़ की ऋतु ।

४. चंद्रमा ।

५. चंदन ।

६. कपूर ।

७. राँगा ।

८. मोती ।

९. ताजा मक्खन ।

१०. कमल ।

११. पृथ्वी के विभागों या वर्षों में से एक ।

१२. वह दवा जो रात भर ठंढे पानी में भिगोकर सबेरे मलकर छान ली जाय । ठंढा क्वाथ या काढ़ा । खेशाँदा ।

१३. हिमवान् । हिमालय (को॰) ।

१४. रजनी । निशा । रात्रि (को॰) ।

१५. एक वृक्ष । पद्मकाष्ठ । पद्माख । विशेष दे॰ 'पदम' ^२ ।

हिम ^२ वि॰

१. ठंढा । सर्द ।

२. तुषार या पाला से भरा हुआ [को॰] ।

हिम पु ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हेम]दे॰ 'हेम' । उ॰— राजा मन मोदित भयो, धीरज धर्म निधान । पंच कोटि मँगवाइ हिम, दिय बिप्रन कहँ दान ।—प॰ रासो, पृ॰ १९ ।

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