हू
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हू पु † ^१ अव्य॰ [वैदिक सं॰ उप (= आगे, और); प्रा॰ उव, हिं॰ ऊ] एक अतिरेकबोधक शब्द । उ॰—(क) काल हू के काल महाभूतन के महाभूत, कर्म हू के करम निदान के निदान है ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ २२९ । (ख) तुम हू कान्ह मनो भए आजु कालि के दानि ।—बिहारी (शब्द॰) ।
हू ^२ संज्ञा पुं॰ गीदड़ के बोलने का शब्द । यौ॰—हूध्वनि, हूशब्द = हू, हू बोलनेवाला गीदड़ । स्यार । हूरव ।