अँधेरी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अँधेरी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ अँधेरा+ई] [पू॰ अँधियरिया]
१. अंधकार । तिमिर । प्रकाश का अभाव । तम । अंधियारी । उ॰— मालती कुंज में मिलती चंद्रिका अंधेरी जैसे । —आँसू॰ पृ॰ ४८ ।
२. काली रात । अंधकार भरी रात्रि । क्रि॰ प्र॰—छाना । —झुकना । —दौड़ना । —फैलना ।
३. आँधी । अंधड़ ।
४. घोड़ों और बैलों की आँख पर डाला जानेवाला पर्दा । अंधारी । क्रि॰ प्र॰—डालना । —देना । मुहा॰—अँधेरी डालना, अँधेरी देना = (१) किसी की आँखों को मूँदकर उसकी दुर्गति करना । इसी को कंबल ओढ़ाना भी कहते हैं । (२ ) आँख में धुल डालना । धोखा देना ।
अँधेरी ^२ वि॰ प्रकाशरहित । अंधकारयुक्त । बिना उजेले की । उ॰— रजनी अँधेरी है न सूझति हथेरी रंच चोर करे फेरी लखि मुख ना लुकोवौ तूँ । —दीन॰ ग्रं॰,पृ॰ १३८ । यौ॰—अँधेरी कोठरी=
१. पेट । गर्भ । कोख । धरन ।
२. गुप्त भेद । रहस्य । मुहा॰—अँधेरी कोठरी का यार = गुप्त प्रेमी । जार ।