अंक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंक संज्ञा पुं॰ [ सं॰ अङ्क] [ वि॰ अङ्कि, अङ्कनीय, अङ्कय] १ संख्या । आदद ।
२. संरया का चिह्न, जैसे १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, । रामनाम को अंक है सब साधन है सून ।—तुलसी ग्रं॰,पृ॰
१०४. ।
३. चिह्न । निशान । छाप । आँक । उ॰—सीय राम पद आंव बराए । लषन चल्हि मग दाहिन लाए । -मानस, २ ।२
१३. ।
४. दाग । धब्बा । उ॰—जहाँ यह श्यामता को अंक है मयंक में -भिखारी ग्रं॰, भा॰१, पृ॰ ४९ ।
५. काजल की बिंदी नजर से बचाने के लिये बच्चे के माथे पर लगा देते है । ड़िठेना । अनखीं ।
६. अक्षर । उ॰ — अदभत रामनाम के अंक ।— सूर, १ ।
९०. ।
७. लेख । लिखावट । उ॰— खंड़ित करने को भाग्य अंक । देखा भविष्ट के प्रति अशंक ।— अनामिका, पृ॰ १
२३. ।
८. भाग्य । लिखन । विस्मत । उ॰— जो बिधना ने लिखि दियो छठी रात को अंक राई घटै न तिल बढै रहु रे निसंक ।— किस्सा॰, पृ॰
८०. ।
९. गोद । क्रोड़ । कोली । उ॰— जिस पृथिवी से सदोष वह सीता- अंक में उसी के आज लीन ।— तुलसी॰ पृ॰
४४. । १०,बार । दफा । मर्तबा । उ॰— एक्हु अंक न हरि भजैसि रे सठ सूर गँवार ।—सूर (शब्द॰) ।
११. नाटक का एक अंश जिसकी समाप्ति पर जवनिका गिरा दी जाती है ।
१२. दस प्रकार के रूपकों में से एक जिसकी इतिहासप्रसिद्ध कथा में नाटककार उलटफेरक कर सकता है । इस्के रसयुत्क आख्यान में प्रधान रस करण और एक ही एंक होता हैं । इसकी भाषा सरल और पद छोटा होना चाहिए ।
१३. किसी पत्र या पत्रि का कोइ समायिक प्रति ।
१४. नौकी संख्या ( क्योकि अंक नौ ही तक होते है) ।
१५. एक की संख्या । (को॰) ।
१६. एक संख्या । सून्य (को॰) । १७ पाप । दुःख ।
१८. शरीर । अंग । देह । जैसे— ' अंवधारिणी' में ' अंक' ।
१९. बगल । पार्श्र्व । जैसे— 'अंकपरिवर्तन' में ' अंक' ।
२०. कटि । कमर । उ॰— सहं सूर सामंत बंधैति अंकं ।— पृ॰ रा॰, ५१ ।१
२०. ।
२१. वक्र रेखा । उ॰— भृकुटि अंक बकुरिय ।— पृ॰ रा॰, ६१ ।२४
५७. ।
२२. हुक या हुव जैसा टेढ़ औजार (को॰)
२३. मोड़ । झकाव (को॰) । २४ काठ । गला । गर्दन । उ॰— अंबरमाला इक्क अंक परिराइ वह्मौ इह ।— पृ॰ रा॰, ७ ।
२६. ।
२५. विभषण (को॰) ।
२६. — स्थान (को॰)
२७. चित्रयुद्ध । नवली लड़ाई (को॰) ।
२८. प्रकरण (को॰) ।
२९. पर्वत (को॰) ।
३०. रथ का एक अंश या भाग (को॰) ।
३१. पशु को दागने का चिह्न (को) ।
३२. सहस्थिति (को॰) । मुहा॰—अंक देना= गले लगाने । आलिग्न देना । अंक भरना = हृदय से लगाना । लिपटाना । गले लगाना । दोनों हाथों से घेरकर प्यार से दवाना । परिरंझण करना । अलिंगन करना । उ॰— उठी परजंक ते मयंक बदनी को लखि, अक भरिबे को फेरि लाल मन ल्लकै ।— भिखारी॰, ग्रं॰, भा॰
१. पृ॰ २४५ । अंक मिलाना = दे॰ ' अंक भरना' । उ॰— नारी नाम बहिन जो आही । तासो कैसे अंक मिलाहा । — कबीर सा॰ पृ॰ १०१० । अंक लगना = दे॰ 'अंक देना' । अंक लगाना = दे॰ ' अंक भरना ।' उ॰— बावरी जो पै कलंक लग्यौ तो निसंक ह्वै क्यों नहि अंक लगावती ।— इति॰, पृ॰ २६३ । अंक में समाना = लीन होना । सायुज्य मुत्ति प्राप्त करना । उ॰— जैसे बनिका काटि की आ है राई । ऐसे हरिजन अंकि समाई ।— प्राणा॰, पृ॰ १५८ ।