अंकुस
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंकुस ^१ संज्ञा पुं॰ [ सं॰ अङकुश; प्रा॰ अंकुस]
१. दे॰ ' अंकुश' । अ॰— महामत गजरजा कहुँ बस कर अंकुस खर्ब ।— मानस, १ ।२५६ । मुहा॰— अंकुस देना= ठेलना । जबरदस्ती करना । उ॰— क्रोध गजपाल के ठठकि हाथी रह्यो देत अंकुस मसकि कब सकान्यो ।— सूर॰, १० ।३०५४ ।
२. दे॰ ' अंकुश' २ । उ॰— कुल अंकुश आरज पथ तजि के लाज सकुच दई ड़ेरै । सूर स्याम कैं रूप लुभाने कैसेहुँ फिरत न फेरे ।— सूर॰ (परि॰)२, पृ॰ ७४ ।
३. दे॰ ' अंकुश'
३. । उ॰— याका सेवक चतुरतर गननायक सम होइ । या हित अंकुस चिह्न हरि चरनन सोहन सोइ ।— भआरतेंदुर्गं॰, भा॰ २, पृ॰८ ।