अंगारा
- शोला
- आग का गोला
व्याकरणिक परिचय
संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग
अन्य रूप
- अंगार – देशज
- अङ्गारक(संस्कृत)
- अंगारअ – प्राकृत
मुहावरा/लोकोक्तियाँ
- अंगारा बनना = क्रोध के कारण मुँह लाल होना, गुस्से में होना।
- अंगारा हो जाना = बहुत गुस्सा होना
- अंगारा होना = क्रोध से लाल होना
- अंगारे फाँकना = असह्य कष्टदायक काम करना
- अंगारे उगलना = कटु वचन कहना
- अंगारे बरसना = अत्यधिक गर्मी पड़ना, दैवी कोप होना
- अंगारों पर पैर रखना = जान बूझकर हानिकारक कार्य करना, स्वयं को संकट मे डालना
- अंगारो पर लोटना = अत्यंत रोष प्रकट करना, डाह में जलना, व्याकुल होना
- अंगारों पर लोटाना = जलाना, तड़पाना, दुखी करना
- लाल अंगारा होना = बहुत लाल होना, अत्यंत क्रुद्ध होना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंगारा संज्ञा पुं॰ [सं॰ अङ्गारक, प्रा॰ अंगारअ] दे॰ 'अंगार' । मुहा॰—अंगारा बनना = क्रोध के कारण मुँह लाल होना । गुस्से में होना । अंगारा हो जाना = दे॰ 'अंगरा बनना' । अंगारा होना = क्रोध से लाल होना । अगारे उगलना = कटु वचन कहना । जली कटी सुनाना । अंगारे फाँकना = असह्या फल देनेवाला काम करना । अंगारे बरसना = (१) अत्यंत अधिक गर्मी पड़ना । आग बरसना । (२) दैवी कोप होना । अंगारों पर पैर रखना = (१) जान बुझकर हानिकारक कार्य करना या अपने को संकट मे डालना । (२) जमीन पर पैर न रखना । इतराकर चलना । अंगारो पर लोटना = (१) अत्यंत रोष प्रकट करना । आग बबुला होना । झल्लाना । (२) डाह्य से जलना । ईर्ष्या से व्याकुल होना । उ॰—'वह मेरे बच्चे को देखकर अंगारों पर लोट गई' (शब्द॰) । (३) तड़पना व्याकुल होना । उ॰—शाम से ही लोटना है मुझको अंगारों पै आज ।—शेर॰, भा॰१, पृ॰ ६५९ । अंगारों पर लोटाना = (१) जलाना । दाह करना । (२) तड़पाना । दुखी करना । लाल अंगारा = (१) बहुत लाल । खुब सुर्ख । उ॰—'काटने पर तरबुज लाल अंगारा निकला' (शब्द॰) । (२) अत्यंत क्रुद्ध । उ॰—'यह सुनते ही वह लाल अंगारा हो गई' (शब्द॰) ।