अंध
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]अंध ^१ वि॰ [सं॰ अंन्ध]
१. नेत्रहीन । बिना आँख का । अंधा । जिसकी आँखों में ज्योति न हो । जिसमें देखने की शक्ति न हो । उ॰—गुर सिष अंध बधिर कइ लेखा । एक न सुनै एक नहिं देखा ।—मानस, ७ ।९९ ।
२. अज्ञानी । अजानकार । अनजान । मुर्ख । बुद्धिहीन । अविवेकी । उ॰—तत्र आक्षिप्त तव विषम माया, नाथ ! अंध मै मंद व्यालादगामी ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ४८१ ।
३. असावधान । अचेत । गाफिल ।
४. उन्मत्त । मतवाला । मस्त । उ॰—ठौर ठौर झौंरत झाँपत भौर भौर मधु अंध ।—बिहारी र॰, ४९६ ।
५. प्रखर । तीव्र (को॰) । विशेष—समस्त पदों में ही प्रायः प्रयुक्त जैसे कामांध, मोहांध क्रौधांध, जन्मांध, दिवोध, रात्र्यंध, मदांध आदि । यौ॰—अंधकुप । अँधखोपड़ी ।
अंध ^२ संज्ञा पुं॰
१. वह व्यक्ति जिसे आँखे न हों । नेत्रहीन प्राणी । अँधा ।
२. जल । पानी ।
३. उल्लु ।
४. चमगादड़ ।
५. अंधकार । अंधेरा ।
६. कवियों के बाँधे हुए पथ के विरुद्ध चलने का काव्य संबंधी दोष ।
७. ज्योतिष के अनुसारह एक योग (को॰) ।
८. परिव्राजकों का एक भेद (को॰) ।