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अंभ

विक्षनरी से

संज्ञा

  1. जल में उत्पन्न

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अंभ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अम्भस्]

१. जल । पानी । उ॰— नौ तत्वनि कौ लिंग पुनि माँहि भरयों है अंभ ।— सुंदर ग्रं॰, भा॰, २, पृ॰, ७२१ ।

२. पितृलोक ।

३. पितर ।

४. लग्न से चोथी राशी ।

५. चार की संज्ञा ।

६. सांख्य में आध्यात्मिक तुष्टि के चार भेदों में से एक । दे॰ 'अभस्तुष्टि' ।

७. देव ।

८. असुर ।

९. ॉ एक राक्षस या असुर (को॰) ।

१०. शक्ति (को॰)

११. तैज (को॰) ।

१२. मनुष्य । मानव । (को॰)

१३. एक वैदिक छंद (को॰) ।

१४. आकाश । उ॰— करि मंत साह गोरि अचंभ । आरंभ तक्क भुजदंड़ । अंभ । — पु॰ रा॰, १९ । ८४ ।