अकि पु † अव्य [हिं॰ कि] या । अथवा । कि । उ॰—(क) पातक शत्रु विनाशकरी अकि राघव की उधरी तरवार है ।—श्री भक्त॰, पृ॰ ५७९ । (ख) अगि जरौं अकि पानी परौ अब कैसी करौं हिय का बिधि धीरौं ।—घनानंद, पृ॰ १२७ ।