अकुलाना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अकुलाना क्रि॰ अ॰ [सं॰ आकुलन]
१. ऊबना । जल्दी करना । उतावला होना । उ॰—(क) 'चलते है, क्यों अकुलाते हो' (शब्द॰) । (ख) पुनि पुनि मुनि उव सहि अकुलाहीं । —मानस, १ १३५ ।
२. घबड़ाना । व्याकुल होना । व्यग्र या बेचैन होना । दुखी होना । उ॰—(क) अतिसै देखि धर्म कै ग्लानी । परम सभीत धरा अकुलानी ।—मानस, १ ।१८३ । (ख) इन दुखिया आँखियानुकौँ सुख सिरजौई नाँहि । देखै बनै न देखतै अनदेखे अकुलाँहि ।—बिहारी र॰, दो ६६३ ।
३. बिह्वल होना । मग्न होना । लीन होना । आवेग में आना । उ॰— बोलि गुरु भसुर समाज सो मिलन चले,जानि बड़े भाग अनुराग अकुलाने हैं ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ २९९ ।