अक्ल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अक्ल संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ अक्ल] बुद्धि । समझ । सूझबूझ । ज्ञान । प्रज्ञा । उ॰—मै तो दिवाना था उसकी अक्ल को क्या हो गया ।—शेर॰, भा॰ १, पृ॰ ४५१ ।
२. चतुरता । होशियारी (को॰) ।
३. विवेक । तमीज (को॰) । क्रि॰ प्र॰—आना ।—खोना ।—गँवाना ।—जाना ।—देना ।—पाना ।—रहना ।—होना । मुहा॰—अक्ल आना = (१) समझ का आना । (२) सही रास्ते पर आना । अक्ल उड़ जाना = (१) समझ में न आना ।
अक्ल काम न देना । (२) घबरा जाना । अक्ल उड़ाना = (१) हैरान करना । (२) त्रस्त करना । अक्ल उलटी होना = (१) मूर्ख या नासमझ होना । (२) कुछ का कुछ समझना । अक्ल औंधी होना = दे॰ 'अक्ल उल्टी होना । अक्ल का अंधा = अत्यंत मूर्ख' । अक्ल का काम न करना = समझ में न आना । कर्तव्य—ज्ञान—शून्य होना । उ॰—'महरी' हुजूर अक्ल नहीं काम करती' ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १ । अक्ल का चक्कर में आना = (१) घबराना । (२) विस्मित होना । अक्ल का चरने जाना = (१) समझ जाती रहना । (२) बदहवास होना । अक्ल का चिराग गुल होना = समझ में फर्क आना । अक्ल का दुश्मन = अत्यंत मूर्ख । बुद्धिविरोधी काम करनेवाला । अक्ल का पुतला = बहुत बुद्धिमान या ज्ञानी । उ॰—बस, सारी बात यह है कि यह लाग अक्ल के पुतले हैं । कोई शै दुनियाँ के पर्दे पर ऐसी नही जिससे यह वाकिफन हों ।—फिसाना॰ भा॰३, पृ॰ १७ । अक्ल का पूरा = बुद्धू । मूर्ख । (व्यंग्य) । अक्ल का मारा = बहुत ही मूर्ख । अक्ल की कोताही = बुद्धिहीनता । मूर्खता । अक्ल की मार = बेबकूफी । अक्ल के घोड़े दौड़ाना = (१) बहुत सोचना या विचार करना । (२) ख्याली पुलाव पकाना । अक्ल के तोते उड़ना = होश ठिकाने न रहना । घबरा जाना । अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना = बुद्धिविरोधी काम करना । अक्ल के बखिए उधेड़ना = अक्ल गँवा देना । अक्ल के होश उड़ना = दे॰ 'अक्ल' के तोते उड़ना' । उ॰—'और मुकाम बुलंद इस कदर कि अक्ल का होश उड़ते है' ।—फिसाना॰, भा॰३, पृ॰ २१३ । अक्ल को रोना = नासमझी पर अफसोस करना । उ—'अक्ल को तो हुस्नआरा रो चुकी' ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३२० । अक्ल खर्च करना = सोचने समझने की कोशिश करना । अक्ल गुम होना = होशहवाश जाते रहना । अक्ल गुद्दी में होना = बेवकूफ या कमअक्ल होना । अक्ल छू जाना = थोड़ी सी समझ होना । अबल जाती रहना = दे॰ 'अक्ल जाना' । अक्ल जाना = (१) समझ न रहना । (२) घबरा जाना । अक्ल ठिकाने रहना = होशहवास दुरुस्त होना । उ॰—अब मैं, उसका समझाऊँ कि बहन अक्ल ठिकाने किसकी है' ।—फिसाना॰, भा॰३, पृ॰ ३२० । अक्ल ठिकाने न रहना = होश दुरुस्त न रहना । अक्ल ठीक करना = शक्ति या नीति द्वारा किसी का गर्व तोड़ना । अक्ल दंग होना = दे॰ 'अक्ल हैरान होना' । उ॰—'बेगम' अक्ल दंग है ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ५ । अक्ल देना = सीख देना समझाना बुझाना । अक्ल दौड़ाना = सोच विचार करना । जुगत बैठना । अक्ल पर झाडू फेरना = नासमझी का व्यवहार करना । अक्ल पर पत्थर पड़ना = निहा- यत बेअक्ल होना । अक्ल पर पर्दा पड़ना = समझ जाती रहना । उ॰—पूछा जो उनसे आपका पर्दा वो क्या हुआ, कहने लगी कि अक्ल पै मर्दों के पड़ गया ।—कविता कौ॰ भा॰ ४, पृ॰ ६३१ । अक्ल भिड़ाना = दे॰ 'अक्ल दौड़ाना' । अक्ल मारी जाना = बुद्धि बेकार होना । अक्ल रफूचक्कर होना = अक्ल का काम न करना । अक्ल लड़ाना = दे॰ 'अक्ल दौड़ाना' । अक्ल सठीयाना = बुद्धि भ्रष्ट हो जाना; जैसे—'इस बुडढ़े की अक्ल तो सठिया गई है:'—(शब्द॰) । विशेष—ऐसा कहते हैं के साठ वर्ष बाद मनुष्य की बुद्धि जीर्ण या बेकाम हो जाती है । अक्ल से दूर होना = समझ या बुद्धि से बाहर होना । 'अक्ल से बाहर होना = दे॰ 'अक्ल से दुर होना' । यौ॰—अक्ले इंसानी = मनुष्य की बुद्धि । अक्ले कुल = (१) देवदूत । फरिश्ता । (२) मूर्ख । घामड़ (व्यंग्य) । अक्ले सलीम = संतुलित बुद्धि । सदबुद्धि । अक्ले हैवानी = पशुतुल्य बुद्धि । पशुबुद्धि ।