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अक्षय

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अक्षय ^१ वि॰ [सं॰]

१. जिसका क्षय न हो । अनश्वर । सदा बना रहनेवाला । कभी न चुकनेवाला ।

२. कल्पातस्थायी । क्लप के अंत तक रहनेवाला । उ॰—दिवा रात्रि या मित्र वरुण की बाला का अक्षय श्रृंगार । —कामायनी पृ॰ ३६ ।

अक्षय संज्ञा पुं॰

१. परमात्मा ।

२. संन्यासी ।

३. दरिद्र ।

४. एक योग जिसमें किया हुआ पाप या पुण्य का नाश नहीं होता [को॰] ।