अक्षारलवण
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अक्षारलवण संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह लवण जिसमें क्षार न हो । वह लवण जो मिट्टी से न निकला हो । विशेष—कोइ कोई सेधा और समुद्री लवण को अक्षार लवण मानते है और व्रतादि में उसको ग्राह्य समझते है ।
२. वह हविष्य भोजन नमक न हो और जो अशौच और यज्ञ में काम आता हो; जैसे—दुध, घी, चावल, तिल, मूँग जौ आदि ।