अखाड़ा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अखाड़ा संज्ञा पुं॰ [सं॰ अक्षवाट; प्रा॰अक्खाड़य]
१. वह स्थान जो मल्लयद्ध के लिये बना हो । कुश्ती लड़ने या वसरत करने के लिये बनाई हुई चौखूँटी जगह जहाँ की मिट्टी खोदकर मुलायम कर दी जाती है । मल्लशाला । उ॰—चौदह पंद्रह साल के लड़के अखाड़ा गोड़ चुके थे छप्पर की थूनियाँ पकड़े हुए बैठक कर रहे थे ।—काले॰, पु॰ ३ ।
२. साधुओं की सांप्रदायिका मंड़ली । जमायत; जैसे—निरंजनी अखाड़ा, निर्वाणी अखाड़ा, पंचायती, अखाड़ा ।
३. साधुओं के रहने का स्थान । संतो का अड्डा ।
४. तमाशा दिखानेवालों और गाने- बजाने वालों की मंड़ली । जमायत । जमावड़ा । दल; जैसे— 'आज पटेबाजों के दो अखाड़े निकले' (शब्द॰) ।
५. सभा दरबार । मजलिस ।
६. रंगभूमि । रंगशाला । परियों का अखाड़ा । नृत्यशाला । उ॰—लड़ते है परियों से कुश्ती पहल- वाने इश्क है, हमको नसिख राजा इंदर का अखाड़ा चाहिए ।—कविता को॰, भा॰ ४, पृ॰ ३५४ ।
७. आँगन । मैदान । मुहा॰—अखाड़ा उखाड़ना = अखाड़े के काम में लोगों द्वारा रुचि न लेना । अखाड़ा न जमना । अखाड़ा गरम होना = अखाड़े में काफि लोगों का आना या भीड़भाड़ होना । अखाड़ा जमना =
१. अखाड़े काम ठीक ढ़ंग से होना ।
२. अखाड़े में शामिल होनेवाले और दर्शकों की चहल पहल होना ।
३. किसी जगह बहुत से आदमियों का इकट्टा होना ।
४. किसी मजलिस, सभा या गोष्ठी में चहल पहल रहना । अखाड़ा न लगना = अखाड़े का काम न होना । अखाड़ा बंद रहना । उ—'और लड़कों को समझ दिया कि कोइ आवे तो कह दें कि अखाड़ा न लगेगा' ।—काले॰, पृ॰ २७ । अखाड़ा निकलना = अखाड़े से संबद्ध लोगों का सामूहिक रूप में निकलना । अखाड़ा बदना = चुनौती देना । ललकारना । अखाड़ा न लगना = दे॰ 'अखाड़ा जमना' । अखाड़े का जवान = कुश्ती या कसरत से पुष्ट शरीर का व्यक्ति । अखाड़े में आना = लड़ने के लिये सामने आना । अखाड़े में उतरना = दे॰ 'अखाड़े मे आना' ।