अखै

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अखै पु वि॰ [सं॰ अक्षय,पा॰ प्रा॰ अक्खय] अक्षय । अविनाशी । उ॰—मन मस्त हरती मिलाइ अवधू त्ब लूटि लै अषै भंडारं ।—गोरख॰, पृ॰ २७ । यौ॰—अखैपद = निर्वाण । अखैपुरष = ईश्वर । अखैवट, अखै— वर = अक्षयवट ।

अखै तीज पु † संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अक्षय तृतीया] अखती की तीज । अक्षय तृतीया । उ॰—अखै तीज तिथि के दिना गुरु होवै संजूत । तौ भाखै यों भड्डरी निपजै नाज बहूत ।—घ घ॰, पृ॰ १४५ ।