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अचिन्त्य

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अचिंत्य ^१ वि॰ [सं॰ अचिन्त्य]

१. जिसका चिंतन न हो सके । जो ध्यान में न आ सके । बौधागम्य । अज्ञेय । कल्पनातीत ।

२. जिसका अंदाजा न हो सके । अकूत । अतुल ।

३. आशा से अधिक । ४ बिना सोचा बिचारा । आकस्मिक ।

अचिंत्य ^२ संज्ञा पुं॰

१. एक अलंकार । विशेष—इसमें अविलक्षण या साधारण कारण से विलक्षण कार्य की उत्पत्ति कहा जाता है; जैसे—'कोकिल को वाचालता विरहिनि मौन अतंत' । देनहार यह देखिए आयो समय बसंत (शब्द॰) । इस दोहे में साधारण वंसत के आगमन रुप कारण से मौ और वाचालता रुप विलक्षण कार्यौ की उत्पति है ।

२. वह जो चिंतन से परे हो । ईश्वर । उ॰—छठौ कसल अचिंत्य को बासा ।—कबीर सा॰, पृ॰ ११ ।

३. शिव (को॰) ।

४. पारद । पारा (को॰) ।