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अच्छ

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अच्छ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. स्फटिक । २ भाल । ३ स्वच्छ जल (ड़िं॰) ।

४. आभिमुख्य । संमुख होना (को॰) ।

५. एक प्रकार का पौधा (को॰) ।

अच्छ ^२ वि॰ स्वच्छ । निर्मल । पवित्र । अच्छा । उ॰—(क) उदधि नाकपति शत्र को, उदित जानि वलंवंन । अंतरिक्ष ही लक्षि पर अच्छ छुयो हनुमंचत—केशव (शब्द॰) (ख) मानह विधि तन अच्छ छवि स्वचन राखिबै काज दृग-पग-पोंछन कौँ करे भूषन पायदाज ।—बिहारी र॰ द॰,४१३ ।

अच्छ ^३ पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ अक्ष प्रा॰ अच्छ]

१. आँख । नेत्र उ॰— (क) कहै पदमाकर न स्वच्छन प्रतच्छ होत अच्छन के आगे हू अधिच्छ गाइयतु है ।—पद्माकर (शब्द॰) । (ख) जो तव अच्छ समच्छ सकत कर पकरि कृपानी ।—रत्नाकर, भा॰ १, पृ॰ १०१ । २ रुद्राक्ष । उ॰—मौंजी औ उपवित अच्छ कंठा कल धारे ।—रत्नाकर, भा॰ १, पृ॰ १०१ । ३ अक्षकुमार नामक रावण का बेटा । उ॰—रखवारे हति विपिन उजारा । देखत तोहि अच्छ तोहि मारा ।—तुलसी (शब्द॰) ।