अछेह
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अछेह पु वि॰ [सं॰ अच्छेद्य]
१. अखंडय । निरंतर । लगातार । उ॰—यौं बिजुरी मनु मेह, आनि इहाँ बिरहा धरे । आठौं जाम अछेह, दृग जु बरत बरसत रहत ।—बिहारी र॰, दो॰ ४४५
२. अनंत । बहुत अधिक अत्यंत । ज्यादा । उ॰—(क) धरे रूप गुन को गरबु फिरै अछेह उछाह ।—बिहारी र॰, दो॰ ६०० । (ख) दरस दौरि पिय पग परसि, आदर कियो अछेह ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ ९३ ।