अजिन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अजिन संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. चर्म । चमड़ा । खाल । उ॰—गज अजिन दिव्य दुकूल जोरत सखी हँसि मुख मोरि कै । —तुलसी ग्रं॰, पृ॰३४ ।
२. ब्रह्मचारी आदि के धारण करने के लिये कृष्णमृग और व्याघ्र आदि का चर्म । उ॰—अजिन बसन फल असन महि सयन डासि कुस पात । —मानस, २ । २११ ।
३. चमड़े का एक प्रकार का थैला (को॰) ।
४. भाथी । धौंकनी (को॰) ।
५. छाल ।