अञ्जन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंजन ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अञ्जन] [क्रि॰ अँजवाना, अँजाना]
१. श्यामता लाने या रोग दुर करने के निमित आँख की पलकों के किनारे पर लगाने की वस्तु । काजल । आँजन । उ॰—अंजन रंजन हुँ बिना खंजन गंजन नैन ।—बिहारी॰ र॰, ४६ ।
२. सुरमा । उ॰—अंजन आड़ तिलक आभुषण सचि आयुधि बढ़ छोट ।— सा॰ लहरी, (उ॰, १६) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—देना ।—लगाना ।—सारना ।
३. सोलह श्रृंगारों में एक ।
४. स्याही । रोशनाई । ५ रात । रात्रि । उ॰—उदित अंजन पै अनोखी देव अग्नि जराय ।— सा॰ लहरी, ३२ ।
६. सिद्धांजन जिसके लगाने से कहा जाता है कि जमीन में गड़े खजाने आदि दीख पड़ते हैं । उ॰—यथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान ।— मानस, १ ।१ ।७ । लेप । उ॰—निरंजन बने नयन अंजन ।— परिमल, पृ॰ १५८ ।
८. माया ।
९. अलंकारों में प्रुक्त व्यंजना वृत्ति का एक भेद जिसमें कई अर्थोंवाले किसी शब्द का प्रयोग किसी विशेष अर्थ में हो और वह अर्थ दुसरे शब्द या पद के अर्थ से स्पष्ट हो । अभिधामुलक व्यंजना वृत्ति । १० पश्चिम दिशा का दिग्गज ।
११. एक पर्वत का नाम । कृष्णांजनगिरि । सुलेमान पर्वत श्रृखला ।
१२. कद्रु से उत्पन्न एक सर्प का नाम ।
१३. छिपकली । बिस्तुइया ।
१४. अग्नि (को॰) ।
१५. पश्चिम दिशा (को॰) ।
१६. एक देश का नाम ।
१७. एक जाति का बगला जिसे नटी भी कहते हैं । आँजन ।
१८. एक पेड़ जो मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड, मद्रास, मैसुर आदि में बहुत होता है । इसकी लड़की श्यामता लिए हुए लाल रंग की और बड़ी मजबुत होती है । यह पुलों और मकनों में लगती है । इससे अन्य सामान भी बनते हैं ।
१९. एक पार्थिव खिनज द्रव्य जिसका सुरमा बनता है (को॰) ।
२०. आँख में अंजन लगाने का कार्य [को॰] ।
अंजन ^२ वि॰ काला । सुरमई । उ॰—उड़त फुल उड़गन नभ अंतर अंजन घटा घनी ।—सुर॰ २ ।२८ । यौ॰—अंजनकेश । अंजनकेशी । अंजनशलाका । अंजनसार । अंजनहारी ।
अंजन ^३ संज्ञा पुं॰ [अं॰ एंजिन दे॰ 'इंजन'] । उ॰—जो जान देना हो अंजन से कट मरो एक दिन ।—कविता कौ॰, भा॰४, पृ॰ ६३२ ।
अंजन ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अर्जन, प्रा,॰ अज्जण] उपार्जन । कमाना ।