अटकना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अटकना कि॰ अ॰ [सं॰ अ=नहीं+टिक=चलनाअ]
१. रुकना । ठहरना । अड़ना । उ॰—(क) तुम चलते चलते अटक क्यों जाते हो ?—(शब्द॰) ।
२. फँसना । उलझना । लगा रहना । उ॰—इहीं आस अटक्यों रहतु अलि गुलाब कै मूल ।— बिहारी र॰, दो॰ ४३७ । प्रेम में फँसना । प्रीति करना । उ॰—फिरत जू अटकत कटनि बिनु, रसिक सुरस न खियाल । अनत अनत नित नित हितनु, चित सकुचत कत लाल ।—बिहारी र॰, दो॰ ५२८ ।
४. विवाद करना । झगड़ना । उलझना । उ॰—जब गजराज ग्राह सौं अटक्यौं, बली बहुत दुख पायो । नाम लेत ताही छिन हरि जुगरुड़हिं छाँडि छुड़ायौ ।—सूर॰, १ । ३२ ।