अथाह
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अथाह ^१ वि॰ [सं॰ अस्ताघ, प्रा॰ अत्याह अथवा सं॰ अ=नहीं+ √स्था=ठहरना]
१. जिसकी थाह नहो । जिसकी गह— राई का अंत न हो । बहूत गहरा । अगाध जैसे—यहाँ अथाह जल है (शब्द) ।
२. जिसका कोई पार या अंत न पा सके । जिसका अंदाज न हो सके । अपरिमित । अपार । बहुत अधिक ।
३. गंभीर । गूढ़ । समझ में न आने योग्य । कठिन । उ॰— (क) करै नित्य जप होम औ जानत वेद अथाह (शाब्द) । (ख) रमणी ह्रदय अथाह जो न दिखलाई पड़ता ।—कानन॰, पृ॰ ७१ ।
अथाह ^२ संज्ञा पुं॰
१. गहराई गड्ढा । जलाशय ।
२. समुद्र । उ॰—वा मुख के फिर मिलन को, आस रही कछु नाहिं । परे मनोरथ जाय मम अब अथाह के माहिं ।—शकुंतला, पू॰११४ । मुहा.—अथाह में पड़ना=मुश्किल में पड़ना । जैसे—हम अथाह में पड़े हैं, कुछ नहीं सुझता [शब्द] ।