अधिष्ठान
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अधिष्ठान संज्ञा पुं॰ [सं॰ ]
१. वासस्थान । रहने का स्थान ।
२. नगर । शहर । जनपद । बस्ती ।
३. स्थिति । कयाम । पड़ाव । मुकाम । टिकान ।
४. आधार । सहारा । उ॰— मंगलशक्ति के अधिष्ठान राम और कृष्ण जैसे पराक्रमशाली और धीर हैं वैसा ही उनका रूपमाधुर्य और उनका शील भी लोकोत्तर है । —रस, पृ॰ ६१ ।
५. वह वस्तु जिसमें भ्रम का आरोप । विशेष— जैसे रज्जु में सर्प और शुक्ति में रजत । यहाँ रज्जु और शुक्ति दोनों अधिष्ठान हैं क्योंकि इन्हीं में सर्प और रजत का भ्रम होता है ।
६. सांख्य में भोक्ता और भोग का संयोग । विशेष— जैसे, आत्मा का शरीर के साथ और इंद्रियों का विषय के साथ ।
७. अधिकार । शासन । राजसत्ता ।
८. गच जिसपर खंभा या पाया आदि बनाया जाय (वास्तु) ।