अधिष्ठान

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अधिष्ठान संज्ञा पुं॰ [सं॰ ]

१. वासस्थान । रहने का स्थान ।

२. नगर । शहर । जनपद । बस्ती ।

३. स्थिति । कयाम । पड़ाव । मुकाम । टिकान ।

४. आधार । सहारा । उ॰— मंगलशक्ति के अधिष्ठान राम और कृष्ण जैसे पराक्रमशाली और धीर हैं वैसा ही उनका रूपमाधुर्य और उनका शील भी लोकोत्तर है । —रस, पृ॰ ६१ ।

५. वह वस्तु जिसमें भ्रम का आरोप । विशेष— जैसे रज्जु में सर्प और शुक्ति में रजत । यहाँ रज्जु और शुक्ति दोनों अधिष्ठान हैं क्योंकि इन्हीं में सर्प और रजत का भ्रम होता है ।

६. सांख्य में भोक्ता और भोग का संयोग । विशेष— जैसे, आत्मा का शरीर के साथ और इंद्रियों का विषय के साथ ।

७. अधिकार । शासन । राजसत्ता ।

८. गच जिसपर खंभा या पाया आदि बनाया जाय (वास्तु) ।