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अनुशय

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अनुशय संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. पूर्वद्वेष । पुराना वैर । अदावत ।

२. पश्चात्ताप । अनुताप । उ॰— लघुता मत देखो वक्ष चीर, जिसमें अनुशय बन घुसा तीर ।—कामायनी, पृ॰ २५० ।

३. झगड़ा वादविवाद । कहासुनी । गर्मागर्मी ।

४. दान संबंधी झगड़ों का निर्णय, फल या फैसला (अर्थ॰) ।

५. घुणा (को॰) ।

६. लगाव । आसक्ति (को॰) ।

७. बुरे कर्मों का फल या परिणाम । कर्मविपाक (को॰) । यौ.—क्रीतानुश्य=वे नियम जो क्रय विक्रय के झगड़े से संबंध रखें । नारद स्मृति में ये बड़े विस्तार के साथ कहे गए है ।