अनुषङ्ग
हिन्दी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अनुषंग संज्ञा पु॰ [सं॰ अनुषङ्ग] [वि॰ अनुषंगी, अनुषंगिक]
१. करुण । दया ।
२. संबंध । लगाव । साथ ।
३. प्रसंग से एक वाक्य के आगे और वाक्य लगा देना । जैसे—'राम वन को गए ओर लक्ष्मण भी' । इस पद में "भी" के आगे 'वन को गए' वाक्य अनुषंग से समझ लीया जाता है ।
४. न्याय में उपनय के अर्थ को निगमन में ले जाकर घटाना । किसी वस्तु में किसी और के तुल्य धर्म का स्थापन करके उसके विषय में कुछ निश्चय करना । जैसे,—घट आदि उत्पात्ति धर्मवाले हैं (उदाहरण), वैसे ही शब्द उत्पात्ति धर्मवाला है (उपनय), इसलिये शब्द अनित्य है (निगमन) ।
५. उत्कट लालसा । तीव्र इच्छा ।
६. अर्थपूर्ति के लिये एक या अनेक शब्दों की आवृत्ति (को॰) ।
७. घालमेल । मिश्रण (को॰) ।
८. अवश्य होनेवाला फल (को॰) ।
९. एक शब्द का दूसरे से संबंध (को॰) ।