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अन्

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अन् अव्य॰ [सं॰] संस्कृत व्याकरण में यह निषेधार्थक ' नञ्' अव्यय का स्थानादेश है और अभाव या निषेध सुचित करने के लिय़े स्वर से आरंभ होनेवाले शब्दों के पहले लगाया जाता है । जैसे—अनंकुश अनंत, अनधिकार, अनीश्वर आदि । हिंदी में यह अव्यय या उपसर्ग सस्वर होता है और व्यंजन तथा स्वर से आरंभ होनेवाले शब्दों के पहले भी लगाया जाता है । जैसे, अनबन, अनरीति, अनहोनी, अनअहिवात, अनऋतु आदि ।