अन्तःकरण
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अंतःकरण संज्ञा पुं॰ [सं॰ अन्तःकरण]
१. वह भीतरी इंद्रिय जिसके विषय संकल्प, विकल्प, निश्चय, स्मरण आदि है तथा जो सुख दुःखादि का अनुभव करती है । विशेष—कार्यभेद से इसके चार विभाग है—(१) मन्, जिससे संक्लप विकल्प होता है । (ख) बुद्धि जिसका कार्य है विवेक वा निश्चय करना । (ग) चित्त, जिससे बातों का स्मरण होता है । (घ) अहंकार, जिससे सृष्टि के पदार्थों से अपना संबंध देख पड़ता है ।
२. हृदय । मन । चित्त । बुद्धि । उ॰—अंतःकरण में तीव्र अभिमान के साथ विराग है ।—स्कंद॰, पृ॰ ५६ ।
३. नैतिक बुद्धि । विवेक, जैसे—हमारा अंतःकरण इस बात को कबूल नहीं करता (शब्द॰) ।