अपरंपार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अपरंपार पु वि॰ [सं॰ अपर=दूसरा+हि॰ पार=छोर] जिसका पारावार य़ा ओर छोर न हो । असीम । बेहद । अनत । उ॰— खग खोज पाछै नहीं तू तत अपरंपार । बिन परचै का जानिऐं सब झूठे अहंकार ।—कबीर गे्॰ पृ॰ २३० ।
अपरंपार पु वि॰ [सं॰ अपर=दूसरा+हि॰ पार=छोर] जिसका पारावार य़ा ओर छोर न हो । असीम । बेहद । अनत । उ॰— खग खोज पाछै नहीं तू तत अपरंपार । बिन परचै का जानिऐं सब झूठे अहंकार ।—कबीर गे्॰ पृ॰ २३० ।